वो गली भी सूनी हों गयीं
वो गली भी सूनी हों गयीं
वो शहर भी सूना हों गया
वो लड़की हुईं घर से विदा
वो घर, मकां-सा हों गया
वो माँ पराई हों गयीं
वो पिता पराया हों गया
वो सखियाँ पराई हों गयीं
वो हंसिया पराई हों गयीं
वो कहती थी जिसे अपना “कभी”
वो लड़का भी पराया हों गया
वो खों गया, वो रो गया, वो मर गया ख़ुद में कहीं
था वो कभी गणित का छात्र
वो आज शायर हों गया |
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