वो ख्वाबों ख्यालों में मिलने लगे हैं।
गज़ल
122/122/122/122
वो ख्वाबों ख्यालों में मिलने लगे हैं।
कि अरमान दिल में मचलने लगे हैं।
कहां चौकीदारों ने जगते रहो सब,
कि साजिश सभी़ चोर रचने लगे हैं।
बगल में खड़ा देखकर के बराबर,
महल झोपड़ी देख जलने लगे हैं।
कहीं जलजला है कहीं आग पानी,
पहाड़ों के सीने भी फटने लगे हैं।
कि जल थल गगन धूप पानी हवा भी,
कहर अब प्रकृति के भी दिखने लगे हैं।
कदम लड़खड़ाए कई बार उनके,
गिरे पर वो फिर से सॅंभलने लगे हैं।
नफरत मिटा देगी संपूर्ण दुनियांं,
जो प्रेमी हैं दिल उनके डरने लगे हैं।
……✍️ सत्य कुमार प्रेमी