!!! वो क्या कहेंगे, हम से !!!
वो क्या कहेंगे, हमसे
यह कहना का हक़, गुजर गया है तुमसे
बड़ी उल्फात में, गुजर रही है रात,
साथ ही वो कहने का, वक्त भी गुजर गया है !!
सो रही है , सारी बसती
तन्हाई और हम , जाग रहे हैं,
रह रह कर, उनके ख्याल आ जा रहे हैं,
शायद , अब ख्यालों का भी गुजरने का वक्त आ गया है !!
ये चाहत ही की मुराद ही कुछ ऐसी है
जिस ने सोते सोते मुझ को, जगा दिया है
कभी ख्याल में वो आते, कभी चले जाते हैं
अब इन लम्हों के गुजरने का, वक्त भी आ गया है !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ