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8 Feb 2021 · 1 min read

वो कुछ ख़त

वो तेरी इक हँसी पर जान
मैंने अपनी वारी थी
कि मेरा दिल उसी पल में
तेरा होकर के माना था

मेरे ज़ज़्बात लफ़्ज़ों में
ज़ुबाँ तक आ न पाए थे
उन्ही ज़ज़्बात को मैंने
ख़तों में तब संवारा था

मेरे उन ख़त के बदले में
तुम्हारे ख़त जो आये थे
उन्हें सीने से चिपकाकर
हर इक पल तब गुज़ारा था

भले ही न बनी मेरी
मैं अब भी हूँ तुम्हारा ही
हैं अब भी बाक़ी मेरे पास
वो कुछ ख़त मोहब्बत के…..

6 Likes · 63 Comments · 441 Views
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