*वो एक वादा ,जो तूने किया था ,क्या हुआ उसका*
वो एक वादा ,जो तूने किया था ,क्या हुआ
उसका।
वो एक पल ,जो हमने जिया था,क्या हुआ
उसका।
अग्नि के सम्मुख कुछ पल चुराए थे कभी
हमने,
मोहब्बत का वो जाम पिया था, क्या हुआ
उसका।
तूने चांद को पकड़ कर मेरी हथेली पे धर
दिया था,
वो इक तोहफ़ा जो तूने दिया था,क्या हुआ
उसका।
वादा किया था हमने कि कभी जुदा न होंगे
दो जन्म,
तूने तो गंगाजल हाथ में लिया था,क्या हुआ
उसका।
इश्क- ए-दरिया में आखिरकार हम अकेले
डूब गए,
जो शख्स कभी बहता दरिया था,क्या हुआ
उसका।
तुम छोड़ कर मेरा दिल और शहर,कहीं दूर
चले गए,
जो गली गली में गाता मर्सिया था,क्या हुआ
उसका।
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सुधीर कुमार
सरहिंद फतेहगढ़ साहिब पंजाब।