वो इश्क याद आता है
इश्क़-ए-ख़्वाहिश अधूरी हो तो रब याद आता है ।
जुदाई गर तन्हाई में तब्दील हो तब याद आता है।।
वादे,कसमे अनगिनत किये हमसे दूर ना जाने के
फ़रेबी इश्क कर खेला दिल से अब याद आता है।
उनकी आँखे वो सुनहरे बाल रुख़ पर वो मुस्कान
पंखुड़ियों से गुलाबी गुलाबी वो लब याद आता है।
दिल पर जो ज़ख्म दिए उन्होंने वो नासूर बन गए
क़यामत निग़ाह से भरा हमे वो शब याद आता है।
जब गई दूर हमसे तब कमी तेरा हमे शताने लगा
मत पूछी हमे यार वो हमें कब कब याद आता है।
हम तुम्हे याद करते है तुम भी हमे याद कर लेना
तुम्हारी कही हर एक बात हमे अब याद आता है।
इश्क़-ए-ख़्वाहिश अधूरी हो तो रब याद आता है ।
तिरे संग बिताए हसीं लम्हा वो शब याद आता है।।
स्वरचित
प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला – महासमुन्द (छःग)