वो अपने घुंघराले जुल्फों में उलझते रहे
वो अपने घुंघराले जुल्फों में उलझते रहे
और हम उन्हें जी भर भर के देखते रहे
उनका गुस्सा बरसा इस कदर की, हम
सावन की फुहार समझ कर झेलते रहे
फ़िदा हूँ इस तरह कि कह नहीं सकता
वो धिक्कारते रहे और हम मचलते रहे
बहुतों ने बताया प्यार तेरे बस की नहीं
फिर भी उनकी तस्वीर देख बहकते रहे
दिल बहुत मनाया कुछ कहना ही नहीं
‘राही’ अपने अंदाज में शायरी करते रहे
? रवि कुमार सैनी ‘राही’