Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jul 2021 · 3 min read

वो अनायास ही रोने लगा….

मेरे दिल्ली वाले मामा जी नॉएडा के एक लड़के से मेरे विवाह का प्रस्ताव लेकर आए थे। परिवार अच्छा था, लड़के का सोना चाँदी का कारोबार था और तस्वीर में काफ़ी अच्छा दिख रहा था इसलिए मेरे मम्मी पापा ने सोचा कि बात आगे बढ़ानी चाहिए।
हम सब उनके घर गये। वहाँ जब मैंने ‘अक्षय’ को देखा तब पहली नज़र में ही वो मेरे ज़हन में बस गया। उसकी बुलंद व रौबीली आवाज़ ने मेरा दिल जीत लिया था। उसकी शहद-सी मीठी मुस्कान की तो जितनी तारीफ़ करो उतनी कम है। कुछ देर उससे बात करके उसकी अन्य खूबियों के बारे में भी पता चला । मुझे लड़का पसंद था और फिर बाक़ी सब बातें भी जम गई तो रिश्ता पक्का हो गया। उस समय हमारी सगाई कर दी गई थी परंतु विवाह का मुहूर्त छः महीने बाद का निकला था।
वो नॉएडा में और मैं भोपाल में रहती थी तो मिलना संभव नहीं था इसलिए फ़ोन ही बात करने का एक मात्र ज़रिया था। धीरे धीरे हमारी दोस्ती हो गयी और हम लगभग रोज़ ही बात करने लगे।
एक दूसरे को जानने पहचानने का ये सिलसिला चलता रहा और हम क़रीब आने लगे। चूँकि हम मिल नहीं सकते थे, इसलिए फ़ोन पर अपनी भावनाओं को व्यक्त करना कभी कभी मुश्किल हो जाता था।
हम एक दूसरे को मिस करते थे और कई बार स्तिथि इतनी गम्भीर हो जाती थी कि अक्षय रुआंसे स्वर में मुझसे बात करता था। कभी कभी जब वो खुद को अकेला महसूस करता था या काम की थकान से परेशान रहता था, तब मुझसे बात करते करते अक्सर रो देता था। एक पुरुष को इस प्रकार अनायास ही आंसू बहाते देखना या सुनना हम सबके लिए एक नया व विचित्र दृश्य हो सकता है। शुरुआत में मुझे भी यह बहुत अटपटा लगा कि कोई आदमी इस तरह से रो कैसे सकता है। मैं चिंतित थी कि आख़िर करूँ तो करूँ क्या।
मैं अपनी मम्मी से बहुत क़रीब हूँ और लगभग सभी बातें उनको बताती हूँ इसलिए यह परेशानी मैंने उन्हें बताई। तब उन्होंने मुझे समझाया –
“ बेटी! हमारे पुरुषप्रधान समाज में पुरुषों की भावनाओं को कभी जगह ही नहीं मिली। बचपन से लेकर बुढ़ापे तक पुरुषों से उम्मीद की जाती है कि उन्हें कठोर बनना है। एक भावुक पुरुष की छवि हमारे मन में कभी बनती ही नहीं क्यूँकि हमने तो हमेशा कठोर पुरुष देखे हैं। चाहे मुश्किल से मुश्किल चुनौती उनके सामने आ जाए, उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे पत्थर की भाँति शांत, अडिग व कठोर खड़े रहेंगे। अपने पापा को ही देख लो, हमेशा अपने दुःख, अपने आंसू हम सबसे छुपाते हैं। महानायक अमिताभ बच्चन जी हमें सिखाते हैं – “ मर्द को दर्द नहीं होता! “ इस तरह के माहौल में बिचारे मर्द रोना चाहे भी तो कैसे ? मर्दों को कभी वो कंधा ही नहीं मिला जिस पर सिर रखकर वे मायूस हो सकें। कभी वो उँगलियाँ ही नहीं मिलीं जो उनके आंसू पोंछ सकें। कभी वो आलिंगन ही नहीं मिला जिससे लिपटकर वे फूट फूटकर रो सकें। “
पुरुषों को लेकर माँ का ये नज़रिया मुझे चौंका गया। पुरुषों के भावुक पक्ष को पूरा समाज नज़रंदाज़ कर देता है। उनके आंसुओं की किसी को क़दर ही नहीं! माँ की बातें सुनकर मेरी आँखें खुल गईं और मुझे मेरी गलती का अहसास हो गया! मुझे समझ आया कि मैं कितनी भाग्यशाली हूँ जो अक्षय मुझे अपना इतना करीबी मानता है। शादी होने से पहले ही उसने अपनी आत्मा को मुझे सौंप दिया है। पूरी दुनिया के लोगों पर उसे इतना भरोसा नहीं, जितना मुझपर है। वो जानता है कि मैं औरों की तरह उसे ग़लत नहीं समझूँगी। इसलिए मैंने फ़ैसला लिया कि अब से मैं कभी अक्षय को रोने से नहीं रोकूँगी। उसकी भावनाओं की हमेशा कद्र करूँगी और उसे दिल खोलकर जीने दूँगी। क्यूँकि रोने से कमजोरी नहीं दिखती, बल्कि रोना तो इस बात का प्रतीक है कि हम जीवित है, हम चीजों को महसूस करते हैं और हमारे अंदर भावनाएँ हैं। बस यही तो एक खूबी है जो मनुष्यों को अन्य जीवित प्राणियों से अलग करती है!

4 Likes · 5 Comments · 609 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पितृ दिवस
पितृ दिवस
Ram Krishan Rastogi
*होठ  नहीं  नशीले जाम है*
*होठ नहीं नशीले जाम है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सपनों को दिल में लिए,
सपनों को दिल में लिए,
Yogendra Chaturwedi
ہر طرف رنج ہے، آلام ہے، تنہائی ہے
ہر طرف رنج ہے، آلام ہے، تنہائی ہے
अरशद रसूल बदायूंनी
आ
*प्रणय*
‘1857 के विद्रोह’ की नायिका रानी लक्ष्मीबाई
‘1857 के विद्रोह’ की नायिका रानी लक्ष्मीबाई
कवि रमेशराज
आईना ने आज़ सच बोल दिया
आईना ने आज़ सच बोल दिया
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मोहब्बत का वो तोहफ़ा मैंने संभाल कर रखा है
मोहब्बत का वो तोहफ़ा मैंने संभाल कर रखा है
Rekha khichi
मातर मड़ई भाई दूज
मातर मड़ई भाई दूज
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
माँ वीणा वरदायिनी, बनकर चंचल भोर ।
माँ वीणा वरदायिनी, बनकर चंचल भोर ।
जगदीश शर्मा सहज
सोना बोलो है कहाँ, बोला मुझसे चोर।
सोना बोलो है कहाँ, बोला मुझसे चोर।
आर.एस. 'प्रीतम'
गीता ज्ञान
गीता ज्ञान
Dr.Priya Soni Khare
चल मनवा चलें.....!!
चल मनवा चलें.....!!
Kanchan Khanna
जिंदगी में आप जो शौक पालते है उसी प्रतिभा से आप जीवन में इतन
जिंदगी में आप जो शौक पालते है उसी प्रतिभा से आप जीवन में इतन
Rj Anand Prajapati
सारे नेता कर रहे, आपस में हैं जंग
सारे नेता कर रहे, आपस में हैं जंग
Dr Archana Gupta
"दर्द के तोहफे"
Dr. Kishan tandon kranti
20-- 🌸बहुत सहा 🌸
20-- 🌸बहुत सहा 🌸
Mahima shukla
शिक्षा का महत्व
शिक्षा का महत्व
Dinesh Kumar Gangwar
3765.💐 *पूर्णिका* 💐
3765.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
नफरत दिलों की मिटाने, आती है यह होली
नफरत दिलों की मिटाने, आती है यह होली
gurudeenverma198
सबसे सुगम हिन्दी
सबसे सुगम हिन्दी
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
*बदलाव की लहर*
*बदलाव की लहर*
sudhir kumar
प्यार
प्यार
Ashok deep
तुम्हें बुरी लगती हैं मेरी बातें, मेरा हर सवाल,
तुम्हें बुरी लगती हैं मेरी बातें, मेरा हर सवाल,
पूर्वार्थ
इतना बेबस हो गया हूं मैं
इतना बेबस हो गया हूं मैं
Keshav kishor Kumar
आसान नहीं
आसान नहीं
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
Life
Life
Neelam Sharma
राम लला की हो गई,
राम लला की हो गई,
sushil sarna
*हम बच्चे हिंदुस्तान के { बालगीतिका }*
*हम बच्चे हिंदुस्तान के { बालगीतिका }*
Ravi Prakash
मुझे आरज़ू नहीं मशहूर होने की
मुझे आरज़ू नहीं मशहूर होने की
Indu Singh
Loading...