Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2022 · 1 min read

वोह जब जाती है .

वोह जब भी जाती है ,
बिजली के सारे उपकरणों से ,
कनेक्शन तोड़ जाती है ।
सारे काम घर के ठप ,
कमबख्त कर जाती है ।
दिन हो या रात ,कुछ न देखे ,
बस ! जब जी चाहे चली जाती है ।
जिंदगी में किस कदर निरसता ,
छा जाती है उसके बिना ।
मगर यह बिजली जालिम ,
कहां समझ पाती है ।
उस पर हाय तौबा ! यह गर्मी और उमस ,
हमें तड़पा तड़पा मार डालती है ।
जाने क्यों ! यह बिजली क्यों चली जाती है ।

Language: Hindi
4 Likes · 13 Comments · 407 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all
Loading...