वोह जब जाती है .
वोह जब भी जाती है ,
बिजली के सारे उपकरणों से ,
कनेक्शन तोड़ जाती है ।
सारे काम घर के ठप ,
कमबख्त कर जाती है ।
दिन हो या रात ,कुछ न देखे ,
बस ! जब जी चाहे चली जाती है ।
जिंदगी में किस कदर निरसता ,
छा जाती है उसके बिना ।
मगर यह बिजली जालिम ,
कहां समझ पाती है ।
उस पर हाय तौबा ! यह गर्मी और उमस ,
हमें तड़पा तड़पा मार डालती है ।
जाने क्यों ! यह बिजली क्यों चली जाती है ।