*वोट मॉंगने वाला फोटो (हास्य-व्यंग्य)*
वोट मॉंगने वाला फोटो (हास्य-व्यंग्य)
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नेताओं का वोट मॉंगने वाला फोटो बहुत प्रसिद्ध हुआ । यह फोटो बाकायदा फोटोग्राफर के स्टूडियो में जाकर खिंचवाया जाता है। यद्यपि अब मोबाइल से भी खींचने की सुविधा हो गई है, लेकिन फिर भी जो प्रभाव स्टूडियो में खींचे गए फोटो से आता है, वह मोबाइल में नहीं बन पाता । जब आदमी चुनाव लड़ने के लिए खड़ा होता है और उसमें लाखों-करोड़ों रुपए खर्च कर देता है, तब चार पैसे फोटो के बचा कर क्या करेगा ?
नेता फोटोग्राफर के स्टूडियो में जाता है और कहता है कि हमें वोट मॉंगने वाला एक फोटो बनवाना है । फोटोग्राफर समझ जाता है। कहता है, आप हाथ जोड़ने की प्रैक्टिस करो। तब तक मैं आपका फोटो खींचने का इंतजाम करता हूॅं। पृष्ठभूमि में कौन सा रंग आप पसंद करेंगे ? जैसी विचारधारा हो, उसी के अनुरूप रंग की पृष्ठभूमि बना देंगे । नेता पूछता है, क्या वोट मॉंगने वाले फोटो में हाथ जोड़ना जरूरी है ? हमने तो कभी हाथ नहीं जोड़ें ? लोग ही हमारे पास हाथ जोड़कर आते हैं और पैर छूकर जाते हैं । जिसका काम हमने कर दिया, वह धन्य हो जाता है। फोटोग्राफर समझ जाता है कि यह आदमी पुराना नेता होते हुए भी अभी नौसिखियों जैसी बातें कर रहा है। भला बगैर हाथ जोड़े वोट मॉंगने वाला फोटो भी कभी बनता है ?
फोटोग्राफर समझाता है हाथ जोड़िए, वरना किसी को पता नहीं लगेगा कि आप वोट मॉंग रहे हैं । जिस स्थान पर आपका हाथ जोड़े हुए फोटो छपेगा, लोग समझ जाऍंगे कि आप या तो उम्मीदवार बन चुके हैं अथवा टिकट मॉंगने की लाइन में लगे हुए हैं । नेता और उसके चमचे अगर चतुर हैं, तो तुरंत बात को समझ लेते हैं ।
अब फोटो-सत्र शुरू होता है।नेता हाथ जोड़कर खड़ा हो जाता है । फोटोग्राफर फोटो खींचने के लिए बिल्कुल तैयार होने ही वाला है कि अकस्मात उसकी नजर नेता के दोनों हाथों पर पड़ती है । वह टोकता है, आपके दोनों हाथ आपस में नहीं मिल रहे हैं । एक हाथ आगे को निकला हुआ है, दूसरा हाथ पीछे को रुका हुआ है । दोनों हाथ बिल्कुल बराबर मिलाइए, जैसे आप वास्तव में हाथ जोड़ रहे हों। दो-चार बार की प्रैक्टिस में नेता हाथ जोड़ना सीख जाता है । पुनः फोटो-सत्र आरंभ होता है, लेकिन इस बार फोटोग्राफर पाता है कि नेता की दोनों ऑंखें मुॅंदी हुई हैं। मानों वह अपने मतदाता को देख ही नहीं रहा हो !
फोटोग्राफर टोकता है, दोनों आंखें खुली रख कर हाथ जोड़िए । आंखें बंद करके हाथ जोड़ने की प्रैक्टिस गलत है । नेता अपनी दोनों आंखें खोल देता है। हाथ जोड़ देता है। लेकिन इस बार उसकी आंखें कुछ ज्यादा ही खुल जाती हैं। अब फोटोग्राफर पुनः टोकता है, आंखें नई दुल्हन के सामान न तो बहुत ज्यादा खुली हुई होनी चाहिए और न ही बंद होनी चाहिए । नेता के लिए यह आधी खुली-आधी बंद वाली आंखों की बात कठिन जान पड़ती है । लेकिन फोटोग्राफर यह स्टाइल भी नेता को सिखा देता है।
फोटो का अगला सत्र पुनः आरंभ होता है । लेकिन उसमें भी एक दिक्कत आ गई । फोटोग्राफर ने नेता को टोककर कहा, आपने हाथ जोड़ रखे हैं लेकिन आपके शरीर की भाव-भंगिमा अर्थात बॉडी लैंग्वेज यह बता रही है कि आप विनम्रता पूर्वक वोट नहीं मांग रहे हैं ?आपके चेहरे पर न तो मुस्कुराहट है और न ही लचीलापन है । थोड़ा विनम्र बनिए । नेता की समझ में यह विनम्रता नहीं आती है । वह कहता है कि हम तो जैसे हैं, वैसे ही फोटो खिंचवाना चाहते हैं। फोटोग्राफर साफ मना कर देता है और कहता है कि कल को आप फोटो की वजह से चुनाव हार गए तो मुझे दोष मत देना । मैं आपका अकड़ू-स्टाइल का हाथ जोड़े फोटो नहीं खींचुंगा । वोट मांगने वाला फोटो निश्चित रूप से विनम्र होना ही चाहिए ।
नेता काफी कोशिश करके अपने चेहरे पर विनम्रता लाने का प्रयास करता है । वह थोड़ा झुकता है, कुछ दांत दिखाता है और इस बार फोटोग्राफर उसका फोटो खींच लेता है । मुश्किल से दस-पॉंच मिनट में नेता को अपना वोट मांगने वाला फोटो मिल जाता है। फिर उस वोट मांगने वाले फोटो का प्रचार चारों तरफ होने लगता है । जितने लोग चुनाव में खड़े होते हैं अथवा टिकट मांगते हैं, उन सब के पास कम से कम एक बहुत बढ़िया-सा वोट मांगने वाला फोटो अवश्य होता है।
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लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451