वोट अपना कीमती
हादसों पर हादसे होते रहे l
नींद में पर रहनुमा सोते रहे ll
आज फिर ऊंचा तिरंगा हो गया l
वादे उसके हम साथ ढोते रहे ll
आ गए फिर से वही वादों के दिन l
जिसके दम पर हम उसे चुनते रहे ll
यह सियासत चूस लेगी खून भी l
अनगिनत है नाग जो पलते रहे ll
जाति,लालच ,धर्म का फिर फ़लसफ़ा l
हम लड़े वो देश को छलते रहे ll
वोट अपना कीमती यह जान लो l
नासमझ थे आज तक रोते रहे ll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़ ,उत्तर प्रदेश l
पसं