वोटर सबपे भारी है
मंच सज गया है दंगल की देखो फिर तैयारी है
आरोपों प्रत्यारोपों का, खेल बराबर जारी है
दावेदार टिकट के देखो, भागदौड़ में उलझे हैं
रोज रोज दल बदल रहे हैं, ऐसी क्या लाचारी है
दिवास्वप्न दिखला कर देखो, जनता को भरमाते हैं
जनता भी अब जागरूक है, मत समझो बेचारी है
लगा लगाकर नए मुखौटे, वही खिलाड़ी आए हैं
नतमस्तक हो खड़े द्वार पर, वोटर सबपे भारी है
पगला गया विकास कह रहे, घोटाले करने वाले
लगता है खुद इनकी पागल खाने की तैयारी है.
इंगा, पिंगा, सोगा रागा, खुद को गाँधी बता रहे
कृष्ण करें क्या ये तो इनकी, पुश्तैनी बीमारी है
@श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद
मोबाइल 9456641400