वोटर बिकता है बेदाम..
चौपाल -सफ़र हर दर पर चर्चा, नेताजी का बड़ा है नाम ।
चला है ये कैसा अभियान, क्यूँ वोटर बिकता है बेदाम ।।
वोटर बिकता बेदाम, दाम इन्हें कभी मिले ना ।
फ़िर भी बिना बिके इनका कभी वोट पड़े ना ।।
लायकराम बिका पऊये में, साग-पूड़ी में नन्नूराम।
बटी साड़ियां हर घर के लिये, क्यूँ वोटर बिकता है बेदाम ।।
शिक्षा और रोज़गार की, नहीं किसी को चिन्ता ।
हर चौराहे पर जल रही,यहाँ मानवता की चिता ।
वोट की ख़ातिर सब लगा दाँव, जाति-धर्म हैं दंगों के नाम ।
नेता का लगाव न जनता से, क्यूँ वोटर बिकता है बेदाम ।।
धर्म का चोला पहन के हरिया, सदा करता है कत्लेआम ।
“आघात” तेरी भी कीमत होगी, क्यूँ वोटर बिकता है बेदाम ।।
आर एस बौद्ध “आघात”
अलीगढ़