वोटर का दर्द(हास्य व्यंग्य)
वोटर का दर्द(हास्य व्यंग्य)
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बेचारा मोटर ! अभी पिछले दिनों मतदान के दौरान उंगली पर लगी गहरी नीली स्याही का निशान छुटा भी न था कि बेचारे को फिर से वोट देने के लिए मजबूर किया जा रहा है । वोटर क्या करे, उसकी किस्मत में वोट देना ही लिखा है।
देश में दो ही प्रकार के लोग हैं । एक वह जो वोट मांगते हैं ,दूसरे वे जो वोट देते हैं। हमारा कहना है कि हम वोटरों से थोड़ा नरमी का व्यवहार करो। बार-बार हमारे ऊपर वोट डालने का दबाव न बनाओ। एक बार 5 साल में हमसे वोट पड़वालो। चाहे जितनी ईवीएम की मशीनें एक बूथ पर रखो। लोकसभा ,विधानसभा, नगरपालिका, पंचायत या और जितने भी चुनाव हैं सबके वोट एक बार में पड़वा लो ।और हम भी एक बार में वोट डालकर निश्चिंत हो जाएं। यह जो बार-बार का चक्कर लगा रखा है कि हर तीसरे महीने वोट पड़ रहे हैं, यह बात अच्छी नहीं है।
इधर आकर एक और मुसीबत शुरू हो गई । जितने लोग विधायक थे ,वह लोकसभा के चुनाव में खड़े होकर लोकसभा पहुंच गए। अब विधायक पद से उनके इस्तीफे आ गए। वोटरों के ऊपर वोट देने का संकट और बढ़ गया।
वोट देना भी अपने आप में काम होता है। नेताओं का तो पेशा है। वोट मांगने के बाद वह अगर जीत जाते हैं तो वेतन मिलता है और पेंशन मिलती है। वोटरों को केवल वोट देने का कर्तव्य बताया जाता है। नेताओं के लिए तो भाषण देना , वोट मांगना यह सब रोजमर्रा की चीजें हैं । उनके तो 5 साल इसी में चलते रहते हैं लेकिन अब वोटर को वोट देने की परेशानी है। उसको फिर से नए सिरे से नेताओं के भाषण झेलने पड़ेंगे। फिर से माथापच्ची करनी पड़ेगी कि किसे वोट दे?
और अब तो वोट देने से भी कुछ नतीजा बैठ नहीं रहा। जिस को वोट दो वह इस्तीफा दे देता है, दूसरे चुनाव में खड़ा हो जाता है। उसके बाद फिर इस्तीफा दे दे तो तीसरे चुनाव में खड़ा हो जाता है ।वोटर का काम केवल वोट देना रह गया है । यह वोटर के साथ अन्याय है ।उसे शांति के साथ अपना काम करने दो। मैं तो कहता हूं कि वोटरों को एक मंच पर आकर यह जो बार-बार का वोट डालने का चक्कर है, उसे खत्म कराना चाहिए ।
लौट- पलटकर खर्चा वोटर के ऊपर ही आता है। वोट मांगने वाले का क्या ,उसने तो वोट मांगा। जीता तो ठीक है ,हारा तो ठीक है ।लेकिन जो हजारों सरकारी कर्मचारी वोट डालने के काम में अपनी 2 दिनों की दिहाड़ी लगाकर काम करते रहे हैं उनके 2 दिन के वेतन का भुगतान कौन करेगा ? न वह व्यक्ति जो जीता है और न वह व्यक्ति जो हारा है । इसका भुगतान तो वोटरों के ऊपर ही पड़ेगा । इसलिए हम वोटरों की चिंता अपनी जगह सबसे महत्वपूर्ण है कि हमसे सिर्फ एक बार 5 साल में वोट पड़वालो। हम बार-बार वोट डालने के पक्ष में नहीं है ।
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लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451