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27 Sep 2019 · 1 min read

वैश्य

ये दुनिया धोखे की है,धोखे में जीना सिखा दिया
कदम जो‌‌ रखें क्यो हुस्न-ओ-महफिल थमा दिया
कली निकलने दो फूल बन जानें दो,आने दो जानें दो
लड़का होता तो जिम्मेदारी भी संभालता,
ये तर्क भलिभांति समझा दिया।

मैं बेटी हूं,तू थी,मेरे सर आसरा है,तेरे था
पूर्ति मेरी भी‌ पूर्ण होगी तूने बेमन के मन‌ सजा‌ दिया
दिन दोपहरिया रात गुजरती बेमन की
बेमन‌ के‌ मन को ढाल,ढाल के जग ने वैश्य बता दिया

लेखिका विवरण लेने लगी मेरे परिवार का
शिष्ट व्यवहार से एक राज गहरा बता दिया
तेरे घर से कोई लौं उठेगी मेरी शाम को अगर
दिया तो‌ जलना है,ये न कहना मन बेचारा जगा दिया

उस शाम एक पैगाम तेरे नाम का होगा
ये दुनिया धोखे की है धोखे में जीना सिखा दिया
बेटी थी मैं,तू है तेरे सर आसरा दिया
ऐसे आसराओं ने ही तो, वैश्य बना दिया

Language: Hindi
1 Like · 310 Views

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