वैवाहिक वर्षगांठ मुक्तक
सादगी आपकी यूँ उभरती रहे।
मेरे मन के महल में उतरती रहे।
ज्यों गुजारे खुशी से बरष तीन है,
उम्र यूँ ही हमेशा गुजरती रहे।
प्रेम पावन हृदय में समायी है तू।
हर खुशी पास में खींच लायी है तू।
भर गयीं रिक्तियाँ जिन्दगी की सभी,
घर मे बनकर दुल्हन जब से आयी है तू।
मेरे अधरों के सब स्वर तुम्हारे हुए।
एकटक रह गए हम निहारे हुए।
हो गया है सरल जिन्दगी का सफर,
एक दूजे के जब से सहारे हुए।
अभिनव मिश्र अदम्य