वैवाहिक यौन उत्पीडन
एक मासूम की जिंदगी से खिलवाड़ का शोर सबको सुनाई देता है,
पर होता जब किसी विवाहित के साथ तो ख़ामोश यह जहां हो जाता हैं,
जहां की नज़रों में जो बात करते हैं नारी की ख्वाइश को पूरा करने की,
अक्सर उन्हें ही घर में अपनी बीवी की इच्छा के विरुद्ध छूते हुए देखा जाता हैं,
कानून की नज़रों में संबंधों में एक नारी की इच्छा को स्थान दिया जाता है,
पर हमारे समाज में शादी के बाद उसकी हर इच्छा को गौण बताया जाता हैं,
आजादी देकर जीने की जो ख्वाइशों का गला फ़र्ज़ के नाम पर घोंटा जाता हैं,
उन्हीं ख्वाइशों के लिए बेटी के आगे सारे समाज को झुकाया जाता हैं,
अपनी खुशी के खातिर जो बेपरवाह हो जाते बीवी की इच्छा से अक्सर रात के साए में,
उन्हीं को दिन के उजाले में समाज में बीवी का गुलाम कहा जाता हैं,
अछूत मानकर बात करने से कतराते हैं सब इस मुद्दे पर यहां,
क्यूंकि पुरुष समाज में हर बार की तरह महिलाओं को अनदेखा किया जाता है,
और जो मोमबत्ती जलाते दरिंदगी, हैवानियत और वहशीपन के आगे यहां,
अक्सर उन्हें ही बंद कमरों में इसी सोच में लिप्त पाया जाता हैं,
जो बदलने की ख्वाहिश रखते हैं इस समाज की गंदी सोच को,
क्यूं उन्हें अपनी इस सोच में कुछ गलत नजर नहीं आता है।