वैलेंटाइन दिवस पर,नवयुवक,युवतियों के लिए एक आलेख
वैलेंटाइन दिवस पर,नवयुवक,युवतियों के लिए एक आलेख
प्रेम क्या है?
किसी को पसंद करना, बार बार उन्हे याद करना,नींद न आना,भूख न लगना, यह मानव शरीर और मस्तिष्क का खेल है।यह त्वरित है,किसी व्यक्ति विशेष के कारण यह सब महसूस करना बहुत ही खूबसूरत एहसास है। यह अपने आप में एक अलग और सुंदर अनुभूति है परन्तु केवल यह सब प्रेम नहीं है।
प्रेम उस आत्मा का आदर है जो आपकी आत्मा को छूती है। पहले आदर फिर प्रेम आता है,क्योंकि तभी आप परसपर उत्थान की ओर अगरसर हो सकते हैं,और वही आप दोनों को बाधें रखेगा।जिसका आप आदर नहीं कर सकते तो वह बस आकर्षण है,ज़रूरत है।वह कुछ समय में विकृत होकर आपको दुख देगा।प्रेम कोई क्रिया नहीं जो friendship – love-breakup पर खत्म हो जाए।यदी प्रेम है तो वह शाश्वत है। जहाँ आप किसी की सोच से सहमत हो,उनके व्यवहार से प्रभावित हो ,उनके जीवन मूल्यों का आदर करें, और जहाँ पारस्परिक उत्थान की भावना जागृत हो वह प्रेम है।
प्रेम समर्पण है। यहां दूसरे व्यक्ति से कुछ प्राप्त नहीं करना है,आप प्रेम में बस उनके लिए हैं आपके सम्पूर्ण अस्तित्व का आधार।आप कुछ प्राप्त करने के लिए नहीं तड़प रहें हैं, आप मन से उन्हे प्राप्त कर रहे हैं।तभी तो विष का प्याला भी हसँकर मीरा जी ने पिया। प्रेम आपको सहज कर देता है,आप सरल हो जाते है। आप एक ठहराव महसूस करते है, खुद को हलका पाते हैं, क्योंकि इसमें त्याग है। आप निष्काम भाव से प्रेम करते हैं। यदी आप किसी से प्रेम कर पा रहे हैं तो आपने खुद को सांसारिकता से ऊपर उठा लिया है,यह एक उपलब्धी है।
प्रेम उसके लिए प्राथना करना है,
जिसमें मैं आलोकित, वह पुलकित।
प्रेम मौन है,
अदृश्य,
मन के एक कोने में छिपा,
बीज एक अथाय छाया का,
जिसमें मैं भी शीतल वह भी शीतल।
दीपाली कालरा