*वैराग्य के आठ दोहे*
वैराग्य के आठ दोहे
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1)
सुबह उठे तो क्या पता, किसे मिलेगी शाम
क्षणभंगुर है जिंदगी, भज ले मन हरि-नाम
2)
मुखड़े का सौंदर्य क्या, धन का क्या भंडार
पद बेचारा क्या करे, मरण खड़ा जब द्वार
3)
धरा सभी कुछ रह गया, बिना सॉंस का गात
पेड़ों ने मानो सहा, पतझड़ का आघात
4)
कोई सोया-सा लगे, कोई लहूलुहान
किसे पता किस भॉंति दें, मरण किसे भगवान
5)
लिखा भाग्य में क्या पता, क्षण भर ही के बाद
मिलें परम उपलब्धियॉं, या फिर हों बर्बाद
6)
रंगमंच पर क्या पता, कब हो खेल समाप्त
क्षण-क्षण का उपयोग कर, जो भी तुझको प्राप्त
7)
काल सदा से क्रूर है, हर लेता है प्राण
किसे पता कैसे चले, इसका मारक बाण
8)
कार्य अधूरे ही रहे, सबके सदा तमाम
पूर्ण हमेशा जानिए, केवल प्रभु का नाम
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451