वेलेंटाइन डे
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हम तो पूरब वाले संस्कारी भारतीय है,
नहीं हमारा पर्व यह वेलेंटाइन डे है,
भारतीय पति-पत्नि का जो है जोड़ा,
जो सात-सात जन्मों का रिश्ता है जुड़ा,
ये कोई एक दिन या इस दिन का मोहताज नहीं,
वो तो सातों जन्म हर
दिन वेलेन्टाइन डे मनाती हैं,
हमारे संस्कृति या संस्कार में नहीं है,
ये रिश्ता कुछ दिन का ही नहीं है,
यहां तो जन्मों-जन्मों की कसमें खाई जाती है,
वादे निभाये जाते है संग-संग जीने-मरने को होते है,
पत्नी ही घर के चमन की खुद गुलाब है,
पति को लगती रोज ही गुलाब की फूल-सी है,
वो घर- परिवार को
गुलाब के सुगन्ध से महकाती है,
अपने रंगबिरंगी कपड़ों के
साथ लाल-गुलाबी
और
पिला फूलों-सी लगती है,
माथे की बिंदी-सिंदूर
और
हाथों की लाल मेहंदी से,
हर रोज
वो वेलेंटाइन डे मनाती है उस से,
नहीं हमारे
ऐसे संस्कार-न ही संस्कृति हमारी,
फिर क्यों हम पश्चमी सभ्यता की
गुलामी को करें अंगीकार ?
✍️ चेतन दास वैष्णव ✍️
गामड़ी नारायण
बाँसवाड़ा
राजस्थान
14/02/021
स्वरचित मेरी रचना