वेलेंटाइन डे
वेलेंटाइन डे पर आप सभी को समर्पित मेरी रचना….
सोचियेगा जरूर…..आपका अश्विनी जोशी,
इस देश में बच्चे भूखे पेट सो जाते है।
नेताओं के ईमान न जाने कहा खो जाते है ।
कुछ हँसते हुए चेहरे भी अचानक रो जाते है ।
फिर भी लोग ‘वेलेंटाइन डे ‘ जरूर मनाते है ।
देश की माये अपने बच्चो को समझाती है ।
पेट भरने के लिए थोड़ा पानी पिलाती है ।
लेकिन हाय री किस्मत….
उस दिन पानी नही आता है।
बच्चा भूख़ से बिलखता रोता रोता ही सो जाता है ।
उस समय उस माँ के सारे अरमान बुझ जाते है ।
फिर भी लोग ‘ वेलेंटाइन डे ‘ जरूर मनाते है।
आज संस्कृत और संस्कृति का हनन हो रहा है ।
लोगो का ईमान न जाने कहा सो रहा है ।
हर रोज रिश्ते शर्मसार होते है ।
खुद को पाक कहने वाले दागदार होते है ।
हम गुणों की महफ़िल में अवगुणों को सजाते है ।
जिन्दा नही अब हम, ये सबको बताते है ।
फिर भी लोग ‘ वेलेंटाइन डे ‘ जरूर मनाते है ।
हर दिन नेताओं पर घोटालों के आरोप लगते है ।
उनकी सफेद ख़ाकी पर जब ऐसे तमगे सजते है ।
लोग कुछ दिन तक उन्हें बुरा बताते है ।
फिर वो ही नेता अपनों से ही क्लीनचिट पा जाते है ।
और वही लोग उन्हें फिर से नेता बनाते है ।
फिर भी लोग वेलेंटाइन डे जरूर मनाते है ।
‘जोशी’ ये नही कहता की दोस्ती नही करते ।
क्या हम दोस्तों की दोस्ती पर नही मरते ?
लेकिन आज मुसीबत में दोस्त ही छोड़ जाते है ।
सबसे पहले भी हमसे मुह मोड़ जाते है ।
वही कुछ ऐसे भी है जो सच्ची दोस्ती निभाते है ।
उन्ही के भरोसे पर तो हम अपनी दुनिया टिकाते है ।
किसी को न बतायें, पर सबकुछ उसको बताते है ।
क्या इक सच्चे दोस्त का फर्ज सिर्फ इक दिन निभाते है…
हम दिल की दोस्ती को शब्दों में तोल जाते है ।
फिर भी लोग ‘ वेलेंटाइन डे ‘ जरूर मनाते है ।
– अश्विनी जोशी
संस्कृत प्रवक्ता , राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय,
बोहड़ा कलां , गुरुग्राम , हरियाणा ।