वेलेंटाइन डे
“वैलेन्टाइन डे के दिन,
लिए हाथ में फूल।
दिल में था उल्लास,
दिमाग हुआ था कूल।।”
..
“मित्रों से मिलने मैं,
पहुँचा था कॉलेज।
साथ ही बढ़ाने हेतु,
वैलेन्टाइन डे का नॉलेज।।”
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“कुछ छात्र मजे से,
कपल में थे घूम रहे।
कुछ साइड में खड़े,
हाथ के फूल को चूम रहे।।”
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“तभी किसी ने मेरे,
पीछे से पत्थर मारा।
इससे हतप्रभ होकर,
ध्यान भंग हुआ सारा।।”
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“पीछे मुड़कर देखा तो,
एक लड़की खड़ी थी।
हाथ में कुछ नहीं,
भ्रकुटि चढ़ाकर खड़ी थी।।”
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“पर उसने मुझसे,
माँगी तत्काल क्षमा।
मैंने भी अपना फूल,
दिया हाथ में थमा।।”
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“वह गायब हो गई,
जैसे हाथ से रेत,
मेरे सारे उजड़ गए,
अरमान भरे ये खेत।।”
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“इसे हकीकत मत समझना,
ये तो एक सपना है।
पर इस जहाँ में कहीं,
मेरा भी कोई अपना है।।”
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संदीप बागड़ी “विनम्र”