वेलेंटाइन डे स्वीकार नहीं
जिस प्रेम की मिले निशानी
हमें गटर और नालो में
जिसका प्रेम छलकता हो
केवल जिस्मानी जालो में
वो प्रेम हमें स्वीकार नही
ये वेलेंटाइन डे स्वीकार नहीं
बेशक प्रेम करो तुम लेकिन
जिश्मों का व्यापार नही
जिसमे बिकती निजी आबरु
वो खोलो बाजार नही
झूठा इश्क़ जानो अरिदल सम
सच्चे से इंकार नही
ये वेलेंटाइन डे स्वीकार नहीं
क्या इतनी जल्दी भूल गए तुम
उन आतंकी स्यालों को?
क्या इतनी जल्दी भूल गए तुम
भारत माँ के लालों को
जिसे नही है प्रेम राष्ट्र से
उस द्रोही से प्यार नहीं
ये वेलेंटाइन डे स्वीकार नहीं
झूठे प्रेम जगत से अच्छा
मात पिता का करलो पूजन
दो स्वेत सुमन श्रद्धा से लेकर
वीरों को करदो अर्पन
राष्ट्र प्रेमी युवा वीर से
है मेरा प्रतिकार नही
ये वेलेंटाइन डे स्वीकार नही
– पर्वत सिंह राजपूत(अधिराज)