*वेद उपनिषद रामायण,गीता में काव्य समाया है (हिंदी गजल/ गीतिक
वेद उपनिषद रामायण,गीता में काव्य समाया है (हिंदी गजल/ गीतिका)
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1
वेद उपनिषद रामायण, गीता में काव्य समाया है
सदा-सदा से ऋषि-युगदृष्टा, सच्चा कवि कहलाया है
2
घर और गृहस्थी भले पैर की बेड़ी-सी लगती हो
कदम बहकने से पहले, इस ने ही हमें बचाया है
3
बेटे-बहुओं को भी निर्णय में कुछ भागीदारी दो
पुश्तैनी घर में सब ने, अधिकार बराबर पाया है
4
कल से हफ्ते में दो दिन ही, रोटी पर घी चुपड़ेगा
महॅंगाई ने भोजन का, यह मीनू नया बनाया है
5
जाने कितनी ही यादें हैं, बचपन वाली होली की
फूल भिगोते थे टेसू के, अभी ख्याल यह आया है
6
सोचो किस-किस से तुमने बरसों से बात नहीं की है
रिश्तों का प्रतिवर्ष नवीनीकरण नहीं करवाया है
7
अच्छी-खासी भली गृहस्थी को ही आग लगा डाली
आलीशान घरों को, मदिरा ने इस तरह ढहाया है
8
कहते हो राणा प्रताप का वंशज तो यह ध्यान रहे
भले घास की रोटी खाई, खुद को नहीं गिराया है
9
हमें पता है कोठी कैसे, बन जाती है दो दिन में
हमें पता है किसने कब-कब, किस से क्या-क्या खाया है
10
देर नहीं लगती है क्षणभर, सब डिलीट हो जाने में
मोबाइल में जो कुछ है, सब मोबाइल की माया है
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डिलीट = मिट जाना
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451