वेदना(शहीद की पत्नी)
1)
चूड़ियां रोईं लगा गज़रा सिसकने टूटकर
प्रीति की माला भी’ बिखरी धड़कनों से छूटकर
वीर जब आया तिरंगे में सजा,लिपटा हुआ
थम गईं सांसें प्रिया की जिंदगी से रूठकर
2)
अधूरे रह गए सपने कभी जो साथ देखे थे
तुम्हारे संग जीवन के हसीं दिन -रात देखे थे
नहीं अब तुम, नहीं खुशियां,नहीं कोई तमन्ना है
नहीं बाकी मुहब्बत की कभी बरसात देखे थे
3)
चुभ रहीं नश्तर हवाएं मन पुहुप मुरझा गए
नैन डूबे आंसुओं में विरह के दिन आ गए
तुम गए साजन जले अरमां मे’रे दिल के सभी
राह तकती बाबरी सी मेघ दुख के छा गए
अंकिता