वेतन लाख का काम टका का!
वेतन लाख रुपए का, काम करता न टका का।पद की गरिमा बहुत भारी।पर न समझे जिम्मेदारी।ये कैसी है लाचारी,देख रहे हैं सब तमाशा, अपनी बारी -बारी ।अब दुनिया भई बेचारी।जरा सुनो लोकतंत्र का हाल।सारी व्यवस्था हुई दलाल। और नौकर बना अलाल। कोई किसी से न मतलब रखता । अपनी अपनी गाड़ी चलाता। जिंदगी भर पीछे पीछे चलता। फिर भी बहुत समझदार बनता। बिना कर्म किये ही,सब कुछ पाना चाहता।