वेआवरू
लुटा दी लाख दौलत उसने
एक जिस्म को नंगा करने के लिये
पर वो मां-बाप का तन न ढक सका
उड़ा दी जिंदगी भर की मेहनत
उसने किसी कोठे पर अय्याशी में
पर वो कभी भूखे का पेट न भर सका
वेगम,बच्चे और अपने भी थे
वेशुमार मोहब्बत करने के लिये
पर उसे तो अय्याशी का धंधा पसंद आया
ये जो बरसात सी कर रहा है
तवायफों की गलियों में प्यार की
वो अपने घर एक बूंद भी न बर्षा सका
वेखॉफ शायर :-
? राहुल कुमार सागर ?
बदायूंनी