वृद्ध जनों पर लघुकथा
वृद्ध जनों पर लघुकथा
आज के भागम भाग वाली जिंदगी में किसी को फुर्सत ही कहां है।
की वृद्ध लोगों के पास बैठे ,उनसे बातें करें उनकी भावनाए समझें,
वो भी सभी का सानिध्य चाहते हैं ये उम्र ही ऐसी होती है शरीर भी शिथिल हो जाता है।
इसलिए सभी बच्चों को चाहिए कि वृद्धों की कीमत समझें,
उनकी सेवा करें, उनको भी अपना अमूल्य वक्त दें—–
बहुत जरूरत होती है इस उम्र में अपनों की,
सभी को इस पथ से गुजरना है।
हम भी सदा जवां नहीं बने रहेंगे,
यही सोच कर वृद्धों का सम्मान करें!!
उनको अपने पर बोझ मत समझें।
बुजुर्गों से ही घर की रौनक होती है
चाहे वो घर में बैठे ही रहें।
एक बुजुर्ग से ही घर गुलज़ार होता है,
वही तो हमारे बागवां के पेड़ हैं–
हम तो डालियां है,पेड़ गिर जायेगा तो डालियों का कोई मूल्य नहीं।
इसीलिए कहते हैं वक्त रहते सचेत हो जायें,और सुख से रहकर बुजुर्गों को मान,इज्जत, सम्मान दें।
वृद्धाश्रम तो कभी भी मत ले जाना,
सोच लेना,कल को आपके साथ यदि ऐसा हो तो!!!!!!
बुजुर्गों को अपना प्यार दो,और उनको ही अपना पथगामी समझो—–
जिंदगी खुशियों से भरी रहेगी
और हमेशा अग्रसर होंगे इस जीवन की नदियां से वही हमारी नाव के नाविक हैं
खैवनहार हैं!!!!!
सुषमा सिंह *उर्मि,,
कानपुर