वृद्धावस्था या अभिशाप
हम वृद्ध हो चुके जीवन मे और तन्हा हमको फिर छोड दिया।
हम जिन बच्चो के मात पिता, उन बच्चो ने मुहँ को मोड लिया।।
जो कहते थे पहले हमसे, तुम बिन जीना तो मुश्किल है।
वो कहते है अब हमसे की, तुमसंग जीना भी मुश्किल है।।
हम बोझ नही है जीवन पर, जीवन को हमने जन्म दिया।
हम बोझ लगे उन बच्चो को, जिन बच्चो को हमने जन्म दिया।।
जो कष्ट सहे थे हमने तब, उन कष्टो का ना मोल रहा।
अपने बच्चो के मुहँ मे अब, ना मिठा मिठा बोल रहा।।
वो बात करे अब ऐसे अब, जैसे हम कुछ नही लगते।
देख हमे माथा चढ जाये, जैसे हम कुछ नही लगते।।
वो भुल गये अपनो के बिन, जीवन कटना भी मुश्किल है।
वो याद रखे बस इतना ही, बिन अपनो के जीवन मुश्किल है।।
जीवन का मोड कोई भी हो, अपनो संग जीवन कटता है।
बिन अपनो के जीवन मुश्किल है, फिर मुश्किल से ये कटता है।।
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“ललकार भारद्वाज”