वृक्ष
नव पल्लव पल्लवित हुआ,
पुलकित हो गया वृक्ष,
हाथ जोड़ तब विनय करे,
अपने ईष्ट समक्ष।
एक -एक कोपल प्रेम से,
सींचा है मन लाय,
अपने तन का अमृत रस
इसको दिया पिलाय।
नित -नव जीवन भावना,
संचित करती रोज।
मेरे ममत्व प्रकाश से,
बढ़ता इसका ओज।
नित-नित ये फूले फले,
और रहे हरषाय,
हे परम पिता परमेश्वर,
मुझ पर होउ सहाय।