“वृक्ष”
“वृक्ष”
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वृक्ष हमें देते, फल और छाया:
होती इसकी , अनोखी काया।
मुक्त करते ये, वायु प्राणरक्षी;
बैठते इसपर, रंग-बिरंगे पक्षी।
वृक्ष होते , बहुत ही दयावान;
डालें और पत्ती भी करते गान।
पर मानव होते, कितने कसाई;
रह-रहकर करे, इसकी कटाई।
छूटते जब भी , मानव के प्राण;
कटकर भी आते, वृक्ष ही काम।
जागो मानव, अब तुम बचालो;
अपने वृक्ष के, हर आवरण को;
सबके जीवन और पर्यावरण कोI
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…✍️प्रांजल
…..कटिहार।