वृक्ष यह अशोक के
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विनीत निर्मलांगी
संत तुल्य वानगी
हर ऋतु में एक सा
रूप तरो ताजगी
नभ इंगित कर रहे
शीर्ष शर अमोघ से
वृक्ष यह अशोक के
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अश्रु देख मात के
पर्ण नत विषाद से
पावन स्मृति स्तंभ यह
गौरवित प्रवाद के
रक्षक भूलोक के
वृक्ष यह अशोक के
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हेम पुष्प शक्ति से
कर्म सब अबाध हों
दैविय आशीष से
चिंता न विषाद हो
शमक सभी रोग के
वृक्ष यह अशोक के
-ओम प्रकाश नौटियाल
बड़ौदा, मोबा. 9427345810