वृक्ष धरा पर अनमोल हैं
वृक्ष धरा पर अनमोल हैं,
बिन वृक्ष दुनिया डांवाडोल हैं।
स्वयं धूप में रहकर के ,
हमको छाया देते हैं।
अपनी जड़ी बूटियों से ,
निरोगी काया देते हैं।
आँखों को मिलता हैं सकूं,
देखकर इनकी हरियाली।
कम हो गया वृक्षारोपण,
छाएगी बदली काली।
फल फूल हमको देते हैं,
बदले में न कुछ लेते हैं।
देख स्वार्थ मनुष्य का ,
पेड़ काटकर फिर पेड़ लगाना भूल गया।
एक पेड़ के बदले में तुम,
एक और पेड़ लगाओगे।
चारों ओर हरियाली छाएगी,
धरती को खुशहाल बनाओगे……