Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2024 · 1 min read

वृक्ष की संवेदना

हे मानव है
मेरा क्या क़सूर
शहरी बस्ती बसाने
में क्यूँ काँटे मुझे
हर रोज़
मेरी संवेदना
अपने से काहे
करें यूँ दूर
चिड़ियों का क्यूँ
छीने बसेरा
अपना घर बसाने को,
हरे-भरे पंख
फेलाकर,*धूप वर्षा*
से बचाकर
छाया हवा तुझको
दे जाता हूँ
फिर क्यूँ काटे मुझे
तुझको अन्न-कण देने
में ,*फल*-*फूल*,*तरकारी*
से लद जाता हूँ
मेरी संवेदना का
विखंडन कर
काहे करें अपने से
मुझको दूर
घर की तेरी
रौनक़ बड़ा दूँ
जब करे
मेरी सेवा हर रोज़
देता हूँ स्वच्छ प्राण
वायु,*लेता क्या हूँ*
तुमसे,
सहता हूँ
तुम्हारी लिए
आँधी,*तूफ़ान और मूसला वर्षा*
को, खेती को बचाने में
मेरी संवेदना
अपने से काहे
करें यूँ दूर।।
स्वरचित एवं मौलिक-डॉ. वैशाली वर्मा✍🏻😇

1 Like · 37 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हम अरबी-फारसी के प्रचलित शब्दों को बिना नुक्ता लगाए प्रयोग क
हम अरबी-फारसी के प्रचलित शब्दों को बिना नुक्ता लगाए प्रयोग क
Ravi Prakash
जिंदगी हर रोज
जिंदगी हर रोज
VINOD CHAUHAN
अनेकों पंथ लोगों के, अनेकों धाम हैं सबके।
अनेकों पंथ लोगों के, अनेकों धाम हैं सबके।
जगदीश शर्मा सहज
बिल्ली
बिल्ली
SHAMA PARVEEN
नज़र चुरा कर
नज़र चुरा कर
Surinder blackpen
देखा तुम्हें सामने
देखा तुम्हें सामने
Harminder Kaur
जज़्बा है, रौशनी है
जज़्बा है, रौशनी है
Dhriti Mishra
हर सांस का कर्ज़ बस
हर सांस का कर्ज़ बस
Dr fauzia Naseem shad
भारत शांति के लिए
भारत शांति के लिए
नेताम आर सी
आप सभी को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं
आप सभी को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं
Lokesh Sharma
एक वृक्ष जिसे काट दो
एक वृक्ष जिसे काट दो
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
थोड़ी मोहब्बत तो उसे भी रही होगी हमसे
थोड़ी मोहब्बत तो उसे भी रही होगी हमसे
शेखर सिंह
बर्फ़ीली घाटियों में सिसकती हवाओं से पूछो ।
बर्फ़ीली घाटियों में सिसकती हवाओं से पूछो ।
Manisha Manjari
फूलों से हँसना सीखें🌹
फूलों से हँसना सीखें🌹
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
तुम्हें नहीं पता, तुम कितनों के जान हो…
तुम्हें नहीं पता, तुम कितनों के जान हो…
Anand Kumar
*20वे पुण्य-स्मृति दिवस पर पूज्य पिता जी के श्रीचरणों में श्
*20वे पुण्य-स्मृति दिवस पर पूज्य पिता जी के श्रीचरणों में श्
*प्रणय प्रभात*
बदली बारिश बुंद से
बदली बारिश बुंद से
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
माँ सरस्वती वंदना
माँ सरस्वती वंदना
Karuna Goswami
फसल
फसल
Bodhisatva kastooriya
2959.*पूर्णिका*
2959.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बादल गरजते और बरसते हैं
बादल गरजते और बरसते हैं
Neeraj Agarwal
*अवध  में  प्रभु  राम  पधारें है*
*अवध में प्रभु राम पधारें है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बड़े महंगे महगे किरदार है मेरे जिन्दगी में l
बड़े महंगे महगे किरदार है मेरे जिन्दगी में l
Ranjeet kumar patre
"देश के इतिहास में"
Dr. Kishan tandon kranti
कमियाॅं अपनों में नहीं
कमियाॅं अपनों में नहीं
Harminder Kaur
हम कैसे कहें कुछ तुमसे सनम ..
हम कैसे कहें कुछ तुमसे सनम ..
Sunil Suman
छल ......
छल ......
sushil sarna
मोरनी जैसी चाल
मोरनी जैसी चाल
Dr. Vaishali Verma
धीरे धीरे  निकल  रहे  हो तुम दिल से.....
धीरे धीरे निकल रहे हो तुम दिल से.....
Rakesh Singh
नवम दिवस सिद्धिधात्री,सब पर रहो प्रसन्न।
नवम दिवस सिद्धिधात्री,सब पर रहो प्रसन्न।
Neelam Sharma
Loading...