वृक्ष की पुकार
हमें न काटो
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काटो मत उपकार करो
ना ऐसे संहार करो
खुद का मत अपकार करो
कुछ तो करो विचार।
प्राणवायु मैं ही देता हूँ
विष प्रकृति से हर लेता हूँ
सुंदर फूलऔर फल देता हूँ
मैं तेरा परिवार।
प्रकृति रक्षण कार्य हमारा
तुझको बस मेरा ही सहारा
करोन तुम यूं मुझसे किनारा
होगा फिर संहार।
मुझे न काटो ऐसे भाई
मिले ना कोदो नाहीं साई
खोद रहे तुम खुद की खाई
मैं जीवन आधार।
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✍ ✍ पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार…८४५४५५