वृक्ष की उपादेयता: वृक्ष केवल अचल,हेते नहीं:: जितेंद्रकमलआनंद ( ४७)
घनाक्षरी :: क्रमॉक ४७
वृक्ष केवल अचल होते नहीं जडवत,
सुनो वत्स! यह तो विश्व जीवन आधार हैं ,।
प्राणियोंके रक्षक तरु मीत हैं समाज के ,
इनसे भी होता पालित सकल लंसार बै ।
आपके हितों के प्रति सजग तत्पर तरु,
करते प्रदानफल , यॉ औषधि- उपहार हैं ।
वे पर्यावरण – हित ,विशाल अंश- दान भी —
प्राणियों पर करते ये आये उपकार हैं ।।
—– जितेन्द्र कमल आनंद