वीर-सिपाही
मैं भारत का वीर-सिपाही,भारत हमको प्यारा ।
भारत माँ की रक्षा करना,ये कर्तव्य हमारा ।
अपने जीवन में पल-पल मैं, देता हूँ कुर्बानी।
सदा देश की सेवा में कर,देता त्याग जवानी।
जीवन की खुशियाँ क्या होती, कब मैंने पहचाना ।
एक इशारे पर मर जाना, बस इतना ही जाना।
रक्खी गर्दन तलवारों पर,कूद पड़ा अंगारा।
मैं भारत का वीर-सिपाही,भारत हमको प्यारा ।
लगा जान की बाजी सीने,पर हम गोली खाते।
देश हितों के खातिर अपना,हम सर्वस्व लुटाते।
बाधा चाहे जो भी आये, कभी नहीं डरते हैं।
चाहे बिजली आँख दिखाये, कदम नहीं रुकते है।
आँधी तूफां जो भी आये,नहीं किसी से हारा।
मैं भारत का वीर-सिपाही,भारत हमको प्यारा ।
प्रलय सृजन दोनों ही मेरे,इस गोदी में पलते।
स्नेह सुमन निज सृष्टि लुटाती ,जिस पथ पर हम चलते।
पर्वत शीश झुका देता है, सागर बनती राहें ।
हृदय लगाने भारत माता,फैलाती निज बाहें।
भारत माँ की आँखों का हूँ, सबसे प्यारा तारा।
मैं भारत का वीर-सिपाही,भारत हमको प्यारा।
ईष्ट देव से चाहूँ मैं बस, इतना वरदान रहे।
मैं रहूँ या ना रहूँ मेरा,ये हिंदूस्तान रहे l
माथे चंदन रज चरणों की,लब पर मुस्कान रहे ।
इस दुनिया में सबसे ऊँचा,भारत का शान रहे।
हो खुशियों से जगमग करता, रौशन जन-गण सारा।
मैं भारत का वीर-सिपाही,भारत हमको प्यारा ।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली