वीर सावरकर (कुंडलिया)
वीर सावरकर (कुंडलिया)
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भाया कब कुछ को कभी ,सावरकर का नाम
एक तपस्वी को किया, नाहक ही बदनाम
नाहक ही बदनाम , सेल्युलर जेल गवाही
देशभक्त अविराम , मुक्ति भारत की चाही
कहते रवि कविराय,देश का अभिमत आया
सावरकर थे वीर, वीर नायक यह भाया
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रचयिता:रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999761 5451