वीर शिवाजी लाड़ले
1.
माँ ‘जीजा ‘की कोख से, हुआ ‘शिवा ‘ का जन्म।
पिता ‘शाह ज़ी ‘ खुद हुए, पाकर उन्हें प्रसन्न।।
2.
‘शिवा ‘ जन्म का साक्ष्य है, ‘शिवनेरी ‘ का दुर्ग।
हुआ मराठा राज हित, स्वयं उदय जस स्वर्ग।।
3.
माँ जीजाबाई रहीं, उनकी गुरु जीवंत।
उनके ही संस्कार से, निर्णय लिए ज्वलंत।।
4.
‘समर्थ रामदास ‘खरे, उनके गुरुवर खास।
शासन उनके नाम से, चरण पादुका दास।।
5.
सिक्के गुरु के नाम से, खुद शिवाजी चलाय।
मंत्र राय उनकी सदा, मन में रखी बसाय ।।
6.
छल करने में तेज था, मुगली अफजल खान।
पेट बाघ नख से चिरा, हुआ शिवा गुणगान।।
7.
मंसबदारी न्यून थी, किया सभा में व्यक्त।
औरंगजेब कैद से, मिष्ठ टोकरे मुक्त।।
8.
राष्ट्र गौरव व अस्मिता, पर जाँ की कुर्बान।
वीर शिवाजी लाड़ले, बने देश की आन।।
9.
सोलह तिस -अस्सी रहा, जीवन का ये गान।
जन्म उन्नीस फ़रवरी, तीन अप्रैल प्रयाण।।
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प्रबोध मिश्र ‘ हितैषी ‘
बड़वानी (म. प्र.)451551