“वीर शपथ तुम आज लो” (गीतिका)
“वीर शपथ तुम आज लो”
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वीर शपथ तुम आज लो माँ मान बढ़ाएँगे।
भारत वीरों की जननी है समता भाव जगाएँगे।
आतंकी हमलावर छाए इनको मार भगाएँगे
मातृभूमि की शान बनें हम गौरव इसका गाएँगे।
दुश्मन से ये घिरी है जननी भारती करे चीत्कार रे
जागो रे वीर जवानों जागो माँ की सुनलो पुकार रे
जाति-पाति का भेद भुला के राष्ट्र प्रेम हित ध्यान रखें
माँ की बलिवेदी पर चढ़ के अपना शीश नवाएँगे।
भारत वीरों की जननी है समता भाव जगाएँगे…।
आतंकी की गोली झेले सहमा सा कश्मीर रे
वीरों की जननी भारत है बढ़ो प्रताप से वीर रे
लहू शहीद का तुम्हें पुकारे सब मिल आगे आओ रे
माँ की बलिवेदी पर चढ़ के अपना शीश नवाएँगे।
भारत वीरों की जननी है समता भाव जगाएँगे…।
आतंकी हमलावर छाए इनको मार भगाएँगे
मातृभूमि की शान बनें हम गौरव इसका गाएँगे
वीर शपथ तुम आज लो माँ मान बढ़ाएँगे।
भारत वीरों की जननी है समता भाव जगाएँगे…।
डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”
संपादिका-साहित्य धरोहर
महमूरगंज, वाराणसी (मो. 9839664017)