वीर रस
तन गंगा में स्नान करे तो मन शुद्ध नहीं हो सकता है
जो मन में गर डर बैठ गया तो युद्ध नहीं हो सकता है
कोई काशी काबा जाये या फिर मक्के की सैर करे
हर कोई ज्ञान बाँटने वाला बुद्ध नहीं हो सकता है।
—-✍ सूरज राम आदित्य