वीर जवान सरहद पर जाते
वीर जवान सरहद पर जाते
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वीर जवान सरहद पर जाते
वतन के वास्ते मर मिट जाते
माँ की आँखें बूढ़ी हो जाती
माँ के लाल शहादत है पाते
राह ताकते रहते नैन नशीले
भार्या के कंगन है टूट जाते
रक्षाबन्धन पर बहना है देखे
राखी के तंदे पल में टूट जाते
पिता के कंधों पर बोझ सारा
संजोये अरमान बिखर जाते
बाल बच्चों का वो पालनहार
डोर टूटती, असहाय हो जाते
भाई ,भाई का होता है सहारा
सहारे बिना बेसहारा हो जाते
मनसीरत वीर सैनिक वन्दन
क्षण में प्राण पखेरू हो जाते
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)