वीरान गली हैरान मोहल्ला कुछ तो अपना अंदाज लिखो / लवकुश_यादव_अजल
वीरान गली हैरान मोहल्ला कुछ तो अपना अंदाज लिखो,
थोड़ा बिखरा थोड़ा टूटा कुछ तो सपने आसान लिखो।
मालूम नही दिल की धड़कन को दिल की परेशानी,
समझ में आए प्रीत प्रेम की कुछ यादों के नाम लिखो।।
उलझे गीतों पर भी तो थोड़ा सा ही सम्मान लिखो,
पतझड़ के मौसम में टूट रहें है जैसे शाखों से पत्ते।
इस पतझड़ पे एक छंद प्रिय महबूबा के नाम लिखो,
वीरान गली हैरान मोहल्ला कुछ तो अपना अंदाज लिखो।।
कितनी हुई तपस्या कितनी बढ़ा दर्द दिल का,
मेरी जान कुछ ऐसी गजलों की शाम लिखो।
चाहत का दरिया भर जाए ऐसा प्रेम परवान लिखो,
थोड़ा बिखरा थोड़ा टूटा कुछ तो सपने आसान लिखो।।
अजल प्रेम के पन्नो पर उस प्रीत का नाम लिखो,
जिगर को छल्ले में बांध आंखो से जी आन करो।
इस पतझड़ पे एक छंद प्रिय महबूबा के नाम लिखो,
वीरान गली हैरान मोहल्ला कुछ तो अपना अंदाज लिखो।।
लवकुश_यादव_अजल
अमेठी, उत्तर प्रदेश