वीरांगनाएँ
सर्वस्व लुटाया जिन महिलाओ ने
भुला दिया क्यों उनको गाथाओं में
दुधमुंहे बच्चो की वो मातायें
जली अग्नि में जीवित ये चिताएं
आओ उनको भी नमन करें हम
उनके नामो को कहीं लिखें हम
शब्दों की एक माल सजाएँ
आज उनको सम्मान दिलाएं
मंगल सूत्र भी बेचे हैं कितनो ने
वस्त्र आभूषण दिए कितनो ने
कितनो ने स्वयं बाजार बनाये
वैश्या के इलजाम लगवाये
दिया धन – शस्त्र क्रांति को
उनका हम जयकारा लगायें
एक दिन वन्दे मातरम कहकर
उनको चरणों में शीश झुकाएं
विजय स्तम्भ निर्मित करवायें
उनके नाम भी अंकित करवाएं
मिली स्वतंत्रता कैसे हमको
भावी पीढ़ी को आज बताएं
भरे आँख तो भर जाने दो
गिरे अश्रु तो गिर जाने दो
आक्रोश अगर आ जाए तब भी
सुन रक्त उबल जाए तन तब भी
आओ एक हुंकार लगायें
जय भारती कह के बुलाएं
सोई जनता को आज जगाएं
श्रद्धासुमन अर्पित कर पायें