Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 May 2017 · 2 min read

वीरव्रती बंटी

तू मानवता के मूर्त्तमान,
हे धर्मवीर ! तुझसे सम्मान
प्रकृति के सदय पोषक तू,
कंपन-व्यथन के अवशोषक तू |
नित भिडे धरा पर शोषक से तू ;
कवलित कर दे त्वरित रोषण से तू |
दें कृपा तूझ पर पूर्ण दिनमान
हे वीर ! तूझसे सबका सम्मान !
क्या कमी तूझमें यह नहीं विषय है
धरा जानती, तू वीर ह्रदय है
अप्रतिम शौर्य तेरा सौंदर्य
स्पष्टता, सरलता वही माधुर्य
तू वीर-व्रती, धर्मनिष्ठ पौरूष का अभिमानी है,
तू दीनता के रक्षक, तु सेवक स्वाभिमानी है;
तू व्यथित ह्रदय को सींचित् करता अभय का दानी है,
तू नैतिकता के रक्षण में प्रबुद्धों का अनुगामी है |
आज समय की बयारों में
धुंध भरी है हर गली-गलियारों में,
चाक- चौबंद विस्मृत पड़े हैं
कुछ तुच्छ कायरता पर अड़े हैं |
भूखों, पददलितों को सदैव जो जोड़ता-
भला यह वीर उन्हें क्यों तोड़ता ?
भुजाएँ उठति चतुर्दिक अभावों पर,
राष्ट्र-संस्कृति तोड़ने वाले कुप्रभावों पर,
निरत उद्योगी, नहीं असहाय ! स्नेह कहाँ लाता बाधाओं पर;
है सतत् खड़ा आज भी, समाज की हर विधाओं पर |
भारतवर्ष के वीरों की शान रही है…
उन्नत शौर्य उच्च त्याग पहचान रही है…
हम ऐसे वीरों को ना छोड दें,
भाग्य अज्ञानवश किंचित् ना फोड दें !
आज जो दीख रहा भयावह दृश्य है…
बहुत वृहद् उसका परिदृश्य है ,
बचा लें हों संगठित अनैतिक संहार को…
अन्यथा ना दोष देना संसार को|
कुछ अपने ईर्ष्या में निमग्न हैं
ये कायर बहुत बडे प्रसन्न हैं
लुट रही ‘अस्मत’ गलियारों में,
हर चौक, शहर, बाजारों में,
हो संगठित अभी भी नव मोड दे दो…
छोड हर संकुचन सतत् जोड दे दो !
आज दीख- सुन चुका जो निकृष्ट कथन है…
उसके पीछे आज ब्राह्मणों का विघटन है!
घट जाए अनैतिक घटना अकस्मात्,
कल यदि वे घुस जाएँ घर में बलात् ,
फिर भी क्या अपने संगठित होंगे ?
नहीं ! नहीं ! विघटित रहेंगे ?
किस स्वार्थ में डूबे लड़े !
किस अनर्थ के लिए अड़े !

स्वभाव से जो निरत वीर,
क्यों रहे प्रतिपल अधीर;

रहा विनाशक जो प्रतिपल बढते आतंक का घंटी…
युग-युग जियो धरणीसुत! अनंत नमन् तुझको हे बंटी !

अखंड भारत अमर रहे !
जय हिन्द !

© कवि पं आलोक पाण्डेय

Language: Hindi
1 Like · 540 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ये दिल तेरी चाहतों से भर गया है,
ये दिल तेरी चाहतों से भर गया है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
निशाना
निशाना
अखिलेश 'अखिल'
हिंदी की भविष्यत्काल की मुख्य क्रिया में हमेशा ऊँगा /ऊँगी (य
हिंदी की भविष्यत्काल की मुख्य क्रिया में हमेशा ऊँगा /ऊँगी (य
कुमार अविनाश 'केसर'
लिख के उंगली से धूल पर कोई - संदीप ठाकुर
लिख के उंगली से धूल पर कोई - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
मजबूरी
मजबूरी
P S Dhami
3665.💐 *पूर्णिका* 💐
3665.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सेवा निवृत काल
सेवा निवृत काल
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
"नेवला की सोच"
Dr. Kishan tandon kranti
इश्क़ का क्या हिसाब होता है
इश्क़ का क्या हिसाब होता है
Manoj Mahato
Agar tum Ladka hoti to Khush Rah paati kya?....
Agar tum Ladka hoti to Khush Rah paati kya?....
HEBA
पहचान
पहचान
Dr.Priya Soni Khare
चाहते नहीं अब जिंदगी को, करना दुःखी नहीं हरगिज
चाहते नहीं अब जिंदगी को, करना दुःखी नहीं हरगिज
gurudeenverma198
संबंध की एक गरिमा होती है अगर आपके कारण किसी को परेशानी हो र
संबंध की एक गरिमा होती है अगर आपके कारण किसी को परेशानी हो र
Ashwini sharma
Me and My Yoga Mat!
Me and My Yoga Mat!
R. H. SRIDEVI
❤️मेरी मम्मा ने कहा...!
❤️मेरी मम्मा ने कहा...!
Vishal Prajapati
जन-मन की भाषा हिन्दी
जन-मन की भाषा हिन्दी
Seema Garg
दिल के इस दर्द को तुझसे कैसे वया करु मैं खुदा ।
दिल के इस दर्द को तुझसे कैसे वया करु मैं खुदा ।
Phool gufran
*डॉक्टर किशोरी लाल: एक मुलाकात*
*डॉक्टर किशोरी लाल: एक मुलाकात*
Ravi Prakash
आप तनाव में तनिक मत रहो,
आप तनाव में तनिक मत रहो,
Ajit Kumar "Karn"
ढूँढ़   रहे   शमशान  यहाँ,   मृतदेह    पड़ा    भरपूर  मुरारी
ढूँढ़ रहे शमशान यहाँ, मृतदेह पड़ा भरपूर मुरारी
संजीव शुक्ल 'सचिन'
25)”हिन्दी भाषा”
25)”हिन्दी भाषा”
Sapna Arora
National Symbols of India
National Symbols of India
VINOD CHAUHAN
..
..
*प्रणय*
शराब
शराब
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सफर कितना है लंबा
सफर कितना है लंबा
Atul "Krishn"
*प्रकृति-प्रेम*
*प्रकृति-प्रेम*
Dr. Priya Gupta
बलिदान
बलिदान
लक्ष्मी सिंह
"वचन देती हूँ"
Ekta chitrangini
साल को बीतता देखना।
साल को बीतता देखना।
Brijpal Singh
देख तिरंगा मन डोला
देख तिरंगा मन डोला
Pratibha Pandey
Loading...