वीणा-पाणि वंदना
🌹शीर्षक 🌹
✍️ वीणा-पाणि वन्दना ✍️
हंसवाहिनी मां सरस्वती मुझको दर्शन दे।
जिसमें तेरा रूप मिले वो पुस्तक दर्पण दे।।
हम बालक नादान और अज्ञान शरण तेरे आए,
हो कतार में मैया तेरे चरणों शीश नवाए;
ज्ञान कुसुम खिल उठे बाग में वो वन उपवन दे।
जिसमें तेरा रूप मिले वो……..
मुझमें हो समरसता दया भावना प्रबल बना मां,
पा सकूं सुविवेक जगत कल्याण हो नेक बना मां;
ध्रुव प्रह्लाद श्रवण सम बन जाऊं वो तन मन दे।
जिसमें तेरा रूप मिले वो…….
भर दे कोरे अंतर्मन में दिव्य ज्ञान पुस्तक का,
वीणा तार बजा आशीष दे मेरे नतमस्तक का;
ज्ञान ले करूं विनाश तिमिर का वो धन पावन दे।
जिसमें तेरा रूप मिले वो……..
🙏कवि 🙏
राधेश्याम “रागी”
कुशीनगर उत्तर प्रदेश