विहान
तोटक छंद
मापिनी 112112 112112
जब सूरज नित्य विहान करे।
चहके चिड़िया मधु गान करें।
यह कोमल ,मंजुल-सी कलियाँ।
खिलती तरु की सुमनावलियाँ।
अवसाद मिटें भ्रम जाल कटे।
नव सूर्य उगे तम काल हटे।
महके घर आँगन पुष्प खिले।
अपनेपन की अहसास मिले।
मकरंद सुगंध मिठास लिए।
नव पुष्प खिले नव आस लिए।
सपने सजते सब आँख दिखे।
हँसते खिलते हर पाँख दिखे।
जग का हर रूप मनोहर है।
लगता कितना यह सुन्दर है।
मन चंचल निर्मल पावन है।
कितना यह शांत सुहावन है।
प्रभु ध्यान सदा करते रहना।
गुरु ज्ञान सदा उर में रखना।
हँसते रहना खिलते रहना।
खुशियाँ दिल में भरते रहना।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली