विहग दड़बे में फसा, दुख देख छटपटाय l
विहग दड़बे में फसा, दुख देख छटपटाय l
शुभचिंतक है आ गया, अब तू क्यों घबराय ll
जीवन है मिल जो गया, रख रख उसका सांच l
बस इतना तू सहज कर, दूर रख द्वेष पाँच ll
भले भले व बड़े बड़े, बोल बोल तू बोल l
सहज सहज ही मधुरता, घोल घोल तू घोल ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न