विस्तार ____असीम की ओर (कविता) स्मारिका विषय 77 समागम
आज्ञा गुरुवर की माने हम, विस्तार असीम की ओर करें।
किन्तु कैसे पंहुचेगें, यह निश्चय चूंहू ओर करें।
मृत्यु का भय, इज्जत का डर, चिंता समाज की कमजोर करें।
सच्चा बोलें, अच्छा बोलें, प्रचार कतयी बेभौर करें।
छोट बड़न सब सम समझें, ये सोच बडी़ पुरजोर करें।
जाति वर्ण की बात न सोचें, ना पाखण्डों का शोर करें।
ब्रह्मज्ञान प्रचारित हो, और सेवा सुमिरण का जोर करें।
मुक्ति का ये खास है साधन, ना इसे छोड़ कुछ और करें।
मर्यादा में भक्ति हो, माया बन्धन कमजोर करें।
अन्त काल में ब्रह्म निरूपण, प्रस्थान असीम की ओर करें।