विष दे झूठा विश्वास न दे ।
विष दे झूठा विश्वास न दे
विष दे झूठा विश्वास न दे
जो तुझसे पूरी हो न सके
मुझको ऐसी कोई आस न दे
मैं एक अनाड़ी मतवाला,
तुम एक रूपसी मृदुवाला
मैं हां बस हां कहने वाला
क्यों प्रेम व्याकरण रच डाला
मैं काल गरल पीने वाला,
तू मुझको छद्म मिठास न दे
विष दे झूठा विश्वास न दे
जो तुझसे पूरी हो न सके
मुझको ऐसी कोई आस न दे ।
मैं भोला भाला प्रेम पथिक
तुम छैल छबीली गोरी हो
मैं सतत् एक पथ का राही
तुम चंचल चन्द्र चकोरी हो
यूँ अपलक नैन न देख मुझे
अब कोई प्रेम पिपास न दे
विष दे झूठा विश्वास न दे
जो तुझसे पूरी हो न सके
मुझको ऐसी कोई आस न दे ।
अनुराग दीक्षित